राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के आह्वान पर चल रहे आंदोलन के द्वितीय  चरण का आगाज 2 अक्टूबर गांधी जयंती से होगा। गांधीजी के अंहिसा आंदोलन व अहसयोग आंदोलन की तर्ज पर ही चिकित्सक अब प्रदेशभर  में असहयोग आंदोलन चलाएंगे। प्रदेश के 10 हजार सेवारत चिकित्सक अब चिकित्सकीय कार्य के अलावा अन्य कार्यों का बहिष्कार करेंगे। 
अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि सेवारत चिकित्सक संघ कोर कमेटी की बैठक जयपुर के जेएमए हॉल में आयोजित की गई। बैठक में चिकित्सकों ने सर्वसम्मति से निर्णय किया कि प्रदेशभर में अब दो अक्टूबर से सेवारत चिकित्सक बाबूगिरी का काम नहीं करेंगे। चिकित्सक का मूल काम पीड़ित,बीमार व रूग्ण व्यक्ति को चिकित्सा उपलब्ध करवाना है। बैठक में निर्णय किया गया कि दो अक्टूबर से असहयोग आंदोलन के तहत सेवारत चिकित्सक अपनी 33 सू़त्री मांगों व स्वास्थ्य प्रबंधन सुधारने के लिए मरीज देखने का काम करेंगे। सरकारी कार्य विडियो कांफ्रेंसिंग, मींटिंग,रिपोर्टिंग, शिविर, परिवार कल्याण कैम्प का अनिश्चितकालीन बहिष्कार किया जाएगा। डॉ. चौधरी ने बताया कि मांगे नहीं माने जाने पर चिकित्सक इस बार 19 अक्टूबर को काली दीपावली मनाएंगे।
डॉ.अजय चौधरी ने बताया कि आंदोलन से प्रभावित नहीं होंगे दिव्यांग। इस संबंध में प्रकाश डालते हुए संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मण सिंह ओला ने बताया कि प्रदेश के दिव्यांग व निषक्त व्यक्तियों के दर्द को समझते हुए प्रदेश में चल रहे दिव्यांग शिविरों में प्रमाण पत्र के लिए सेवारत चिकित्सकों की सुविधा निरंतर जारी रखी जाएगी।
प्रदेश महासचिव डॉ दुर्गाशंकर सैनी ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में चिकित्सक जनप्रतिनिधियों को जनता के नाम संदेश पत्र विधायक, जिला प्रमुख, प्रधान, सरपंच को समर्थन मांग पत्र के साथ सौंपेंगें।
संगठन सचिव डॉ.राकेश हिरावत ने बताया कि प्रदेष में 16 अक्टूबर को प्रदेश के सभी सेवारत चिकित्सक एक दिवसीय धरना देंगे। इससे पहले चिकित्सक प्रदेश में सामूहिक अवकाश पत्रों का भी संकलन करेंगे। 
गौरतलब है कि प्रदेश के 33 जिलों का 33 सूत्रीय मांग पत्र चिकित्सा मंत्री को सौपा गया था। मांगपत्र की प्रमुख मांगों को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ हुई वार्ता में 29 अगस्त को सैद्वांतिक सहमति बनी थी। इसके बाद मांगों के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार ने 15 दिन की समयावधि चाही गई थी। सेवारत चिकित्सकों ने 30 अगस्त के सामूहिक अवकाश को स्थगित कर मांगों के क्रियान्वयन के लिए 15 सितम्बर तक का समय तय किया। राज्य सरकार की ओर से मांगो पर 15 दिन बाद भी सकारात्मक रूख नहीं अपनाने पर अब 18 सितम्बर को सेवारत चिकित्सक एक दिन के सामूहिक अवकाश रखा था। 27 सितम्बर को निदेशक (जनस्वास्थ्य) की ओर से राज्य स्तरीय विडियो कांफ्रेसिंग का भी चिकित्सकों ने बहिष्कार किया था।
 बैठक में डॉ विद्याप्रकाश मीना,डॉ. एमपी शर्मा,डॉ दिनेश शर्मा,डॉ.वर्षा सक्सेना, डॉ. मोहनलाल सिंधी,डॉ. शंकर बामणिया, डॉ फ़रियाद मोहम्मद ,डॉ नरोत्तम शर्मा,डॉ आरएस रत्नु,डॉ रामबिलास गुर्जर डॉ. मनीष चौधरी डॉ आशालता,डॉ रामकिशोर विश्नोई,डॉ राजकुमार यादव,डॉ अरविंद गुरावा डॉ विकास कृष्णयाँ और डॉ तरुण तिवारी मौजूद थे।

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