आज आल इंडिया किसान सभा जो कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई एम ) का किसान फ्रंट है उसने देशभर में महिलाओं और किसानो के लिए लॉन्ग मार्च का आयोजन किया मगर सीकर दो ही वजह से सुर्ख़ियों में रहा पहला मुस्लिम महिलाओं का विशाल विरोध प्रदर्शन और दूसरा सीपीआई एम के कुछ कार्यकर्ताओं का गुंडागर्दी के खिलाफ प्रदर्शन

पेमाराम ने भाषण में कहा भाजपा कार्यकर्ता गुंडे हैं 

लोकतंत्र को गुंडागर्दी से खतरा बताते हुए कहा कि मूर्ति तोडना बहुत बड़ी गुंडागर्दी है और कम्युनिस्ट  पार्टी इसका घोर विरोध करती है , सीपीआईएम  के कार्यकर्ता अच्छे स्वाभाव के लिए जानी जाती है और पूरे देश में सिर्फ सीपीआई एम ही अराजकता के खिलाफ बोलती है | इस बात को सुनकर बहुत से लोग एक दुसरे को देख रहे थे | बता दें कि लोकतंत्र और आज़ादी की बात करते हुए पत्रकार भी यही सोच रहे थे कि ये मूर्ति नहीं बल्कि  जिन्दा आदमी पर भी नित हो रहे हमले और बढती हुई अपराधिक घटनाओं के बारे में क्या बोलते हैं मगर उनका पूरा भाषण सुनने के बाद भी निराशा ही हाथ लगी

अभिव्यक्ति की आज़ादी के नारा देती है सीपीआई एम 

कन्हैया प्रकरण में बार बार "अभिव्यक्ति की आज़ादी" के नाम पर जो कुछ हो रहा था वो पूरे देश ने देखा | मगर सीपीआई एम ने बहुत बार ये साफ़ किया कि हर किसी को अभिव्यक्ति की आज़ादी है मगर किसी पर हमला करना या नुक्सान करना एकदम गलत है और देश में यही हो रहा है | देश के खिलाफ नारे लगाने तक भी अभिव्यक्ति की आज़ादी में शामिल होता है और सबको उनकी भी बात सुननी चाहिए क्यूंकि वो सिर्फ नारे लगा रहे हैं, बात कर रहे हैं इसमें मारपीट या अराजकता फैलाना गलत है

सीकर टाइम्स ने AIKS का गुंडागर्दी के खिलाफ प्रदर्शन लाइव दिखाया 

पूरे जिले को पता है कि सीकर टाइम्स को कमुनिस्ट कार्यकर्ता अपने कार्यालय में ही लाइव विडियो के दौरान जानलेवा हमला कर चुके हैं और कम्युनिस्ट के किसी भी प्रदर्शन से दूर रहने की धमकी दे चुके हैं मगर फिर भी हमने किया लाइव कवरेज , क्यूंकि हम खुद गुंडागर्दी के खिलाफ हैं, अराजकता के खिलाफ हैं, सामाजिक प्राणी हैं

शेखावाटी के वीर रोज़ सरहद पर अपना सर्वोच्च बलिदान देते हैं, हम गुंडागर्दी की लड़ाई के खिलाफ यहीं कुर्बान होंगे 

सीकर किसी की निजी संपत्ति नहीं है, यहाँ के सार्वजनिक स्थलों में कौन जा सकता है और कौन नहीं जा सकता इसका फैसला भारत का संविधान करेगा जिसकी रक्षा के लिए हमारे भाई रोज़ सरहद पर शहीद हो रहे हैं , हमलावर गुंडे नहीं देंगे, इसलिए हमने रैली का लाइव भी दिखाया क्यूंकि सड़क किसी भी राजनितिक पार्टी की निजी संपत्ति न है न बनने देंगे, हमें हमले का खतरा भी बना रहा मगर सीकर टाइम्स के रिपोर्टर डरने से ज्यादा मरना पसंद करते हैं| हमें पता है हमपर दोबारा हमला होगा मगर हमारी मौत भी सीकर को कुछ देकर ही जायेगी और वो होगी गुंडों के खिलाफ आवाज़ उठाने की एक और वीर कथा जैसा हमारे भाई रोज़ सरहद पर लिखते हैं | ये धरा वीरों की है कायरों की नहीं जो धमकी के डर से अपने घर में घुस जाएँ, इसी धरा ने अपने मान सम्मान को बचाने के लिए सरहद पर सबसे बढ़ चढ़कर बलिदान दिया है तो सरहद के अंदर भी एक और सही |

हर अच्छे काम का कवरेज करेगा सीकर टाइम्स 

न सिर्फ हर गुंडागर्दी के खिलाफ हर रिपोर्ट आएगी सीकर टाइम्स पर बल्कि अगर कोई गुंडा भी अच्छा काम करेगा तो उसे भी दिखाया जाएगा चाहे वो असलियत में कर रहा हो या ढोंग ही क्यूँ न कर रहा हो
किसान समस्या और लाल गुंडई दो अलग बातें हैं,
किसान सिर्फ इस साल से ही नहीं मर रहा कई दशकों से मर रहा है मगर उसकी याद कोई भी राजनैतिक दल हो उसे सिर्फ चुनाव के एक साल पहले ही याद आती है और इस बार भी यही हो रहा है |

क्या आल इंडिया किसान सभा को ही सीपीआईएम मानते हैं अमराराम ?

अभी  गत वर्ष जब किसान आन्दोलन हुआ था तो समझौता होने के बाद किसान लीडर अमराराम ने मंडी में भाषण देते हुए कहा था "पचास हज़ार माफ़ करवा दिए, अब सभी दस-दस हज़ार पार्टी फण्ड में जमा करवा देना अकाउंट में आते ही" तो क्या आल इंडिया किसान सभा का नहीं बल्कि सीपीआईएम का आन्दोलन मान रहे थे अमराराम ? क्या किसान के लिए नहीं बल्कि अपनी पार्टी के फण्ड के लिए ही कर रहे थे सारा आन्दोलन? क्या किसान को दस हज़ार रूपये की उतनी जरुरत ही नहीं है जितनी सभी मानते हैं ? उस भाषण का पूरा फुटेज सीकर टाइम्स के पास है, आपको भी लाइव दिखाया था |

असली किसान की हर खबर दिखायेगा सीकर टाइम्स और सरकार से लेता रहेगा लोहा 

किसान पुत्र होने के नाते हम हर किसान की समस्या को दिखायेंगे चाहे उसके लिए हमें सरकार से लोहा लेना पड़े मगर लाल झंडे में गुंडागर्दी करने वालों को हम किसान की पीड़ा का रखवाला नहीं मानते वो तो अपनी पार्टी में फण्ड इकठ्ठा कर रहे हैं | गुंडागर्दी के खिलाफ हम हर रोज़ आवाज़ बुलंद करेंगे 

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