राजेन्द्र मधुकर: प्रोफेसर बी एल शर्मा का नाम उन चुनिंदा कुलपतियों में से एक हैं जो कठोर निर्णय लेकर जनमानस को चौंका देते हैं । बीएल शर्मा मूलतः जोधपुर के रहने वाले हैं । वे चार बार कुलपति बनने वाले संभवतः पहले राजस्थानी है । वे दबंग ,न्यायप्रिय और कानूनविद् कुलपति है । शेखावाटी में गिरते हुए शिक्षा के स्तर को दृष्टि में रखते हुए राजस्थान सरकार ने प्रो बी एल शर्मा को पण्डित दीनदयाल शेखावाटी विश्वविद्यालय ,सीकर में कुलपति नियुक्त किया  । शेखावाटी में शिक्षा और राजनीति में चोली दामन का साथ है । शेखावाटी के शिक्षा माफिया का प्रादुर्भाव बी एड महाविद्यालयों  के साथ हुआ । ये महाविद्यालय विद्यार्थी- वृन्द  के शोषण के अड्डे बनें । दाँतारामगढ़ में तो एक बी एड महाविद्यालय ऐसा था जिसमें जब भी चेजा (भवन निर्माण)चलता तो विद्यार्थियों की सांसें फूलने लगती । कमोबेश सब की यही स्थिति है । इन बी एड महाविद्यालयों में एक बाबू ,एक उगाही वाला और एक शिक्षक के अलावा अन्य दिखाई नहीं देता । ये गरीब़ परिवार से आए विद्यार्थियों से 20-35 हज़ार रुपए लेते है । कक्षाओं में महज 30% उपस्थिति रहती है । वे विद्यार्थी भी घुटनभरी ज़िन्दगी जीते हैं । शिक्षकों की मांग करने वाले विद्यार्थियों को आंतरिक परख में नंबर कम देने की धमकी दी जाती है । अनुपस्थित दिखाकर विश्वविद्यालय में रिकार्ड भेजने का भय  दिखाते है ।  धन नहीं देने वाले को अनुपस्थित दिखाते हैं  । उन्हें परीक्षा से वंचित भी रख देते हैं । इस निंदनीय कृत्य से संपूर्ण विद्यार्थी वर्ग में भय व्याप्त हो जाता है । ये नरपिशाच निर्धन और असहाय को परेशान करते हैं । थैलों में चलने वाले बी एड महाविद्यालयों के निदेशक अधिकांशतः महाविद्यालय की देहरी पर नहीं चढ़े । जिनका शिक्षा से कोई नाता नहीं है ।
शेखावाटी में श्रीमाधोपुर के लोकप्रियविधायक और बोम सदस्य झाबर सिंह खर्रा को इन निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों ने चुनाव में देख लेने की धमकी दे दी थी । हालांकि विधायक महोदय ने उनको उन्हीं की भाषा में ज़बाव दिया । शेखावाटी में  इस तरह शिक्षा से धन और धन से राजनीति तय होने लगी ।
कुलपति ने एक साहसिक कदम उठाते हुए 147 बी एड महाविद्यालयों की मान्यता ख़त्म कर दी है । विगत आंदोलन में यहाँ के तथाकथित नेताओं और शिक्षा माफियाओं ने कुलपति को धमकी दी थी । मगर कुलपति ने कहा-"मैं धमकी से डरने वाला नहीं हूँ । संवैधानिक दायरे में रहकर विधि सम्मत कार्य किया जाएगा ।" पूरे प्रदेश में विश्वविद्यालय रिश्वत के अड्डे बन चुके हैं । शेखावाटी विश्वविद्यालय को छोड़कर समस्त राजस्थान में किसी भी विश्वविद्यालय में दबंग कुलपति नहीं होने के कारण रसूखदारों ने अपने संस्थानों को बिना निरीक्षण करवाए   ही मान्यता प्राप्त कर ली । सीकर झुंझुनूं को छोड़कर कहीं भी महाविद्यालयों का निरीक्षण नहीं हुआ । इसलिए शेखावाटी के शिक्षण संस्थानों के संचालकों ने संघटित होकर सरकार और कुलपति पर दब़ाव बनाया मगर उनका आंदोलन विफल हो गया ।
 शेखावाटी में स्नातक और स्नातकोत्तर महाविद्यालयों की स्थिति दयनीय है । अधिकांश महाविद्यालयों में अयोग्य शिक्षकों का जमावड़ा है । प्रयोगशाला और पुस्तकालय रहित इन महाविद्यालयों ने हमारी शिक्षा का स्तर गिरा दिया है । आनेवाली पीढिय़ों को बैसाखियों पर चलाने का कार्य कर रहे हैं । महाविद्यालय परीक्षा केंद्रों पर भारी नकल होती देख तब के राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीएल शर्मा ने परीक्षा केन्द्र स्वयं के महाविद्यालयों में न देकर अन्यत्र महाविद्यालयों में कर ऐतिहासिक फैसला लिया था । शेखावाटी में आने के बाद यहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर उन्होंने जोर दिया । 
  विधि के जानकार कुलपति बेबाकी ,ईमानदारी और कठोर निर्णय के लिए जाने जाते हैं । कर्त्तव्यनिष्ठा,समर्पण ,स्वाभिमान और दूरदृष्टा कुलपति को उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए जन मानस में सम्मान का भाव है । हज़ारों सालों में कोई चमन में दिदावर पैदा होता है-
हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में कोई दिदावर पैदा ।।



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