सीकर: समर्थक माने बैठे थे कि उनके नेता सबसे कद्दावर है और राजस्थान की पहली कांग्रेस लिस्ट में उनके प्रिय नेता का चमकता हुआ नाम आएगा और उनके यहाँ दिवाली होगी मगर पार्टी द्वारा किया सर्वे यहाँ से भेजे गए सर्वे के विपरीत अलग कहानी बना गया | आइये इसका कारण जानते हैं

१. कठुआ उन्नाव घटना की कैंडल मार्च का सबसे बड़ा वीडियो सीकर से निकला मगर दावेदारी करने वाले नेता उसमें थे ही नहीं 

कानून व्यवस्था किसी भी सरकार के लिए सबसे बड़ा सरदर्द होती है जो बड़े से बड़े मुद्दे को शहरी वोटरों से छीन लेती है | कठुआ और उन्नाव में हुई घटना को कांग्रेस ने पूरे भारत के शहरी माहौल में भाजपा सरकार को कानून व्यवस्था स्थापित करने में नाकाम दिखाने के लिए जी तोड़ विरोध प्रदर्शन किया था जिसमें सीकर के कैंडल मार्च के वीडियो ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे | सीकर का वीडियो लाखों बार देखा गया और तीस हज़ार से ज्यादा बार शेयर हुआ यहाँ तक तो यह सीकर कांग्रेस के लिए गर्व का विषय हो सकता है मगर देश में सबसे ज्यादा चलने वाले वीडियो में कई नेता कैसे गायब गायब रहे इसका हर कोई जानना चाहता रहा होगा| आज के दौर में हर नेता और हर शहर के डेली रिकॉर्ड दिल्ली में ऐड होते हैं जिसके लिए कांग्रेस ने विशेष टीम का गठन कर रखा है जिसमें चालीस से ज्यादा प्रशिक्षित एक्सपर्ट बताये जाते हैं | आज के समय में राजनैतिक पार्टियां प्रिंट का नहीं सोशल मीडिया पर एक्टिविटी से असली नब्ज का अंदाजा लगाती हैं जो कद्दावर नेता इस बात को नहीं समझे वो लिस्ट से बाहर हो गए

  | देखिये इस लिंक पर कौन कौन से नेता गायब थे 


२. बड़े विरोध प्रदर्शनों में नदारद 

पिछले समय सीकर ने कई बड़े विरोध प्रदर्शन देखे जिसमें सबसे ख़ास किसान आंदोलन था जिसकी शुरुआत तो कांग्रेस के सचिन पायलट ने सीकर कृषि मंडी से की थी मगर सारा ध्यान अमराराम अपनी तरफ आकर्षित करने में कामयाब हो गए या यह कह लें कि राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन पर कांग्रेस की पूरी रणनीति सीकर विधान सभा एरिया से ही फ़ैल हो गई| अचार संहिता लगने से ठीक पहले भी कानून व्यवस्था का बहुत बड़ा मुद्दा कांग्रेस की झोली में गिरा था जिसकी पूरी नेशनल मीडिया को खबर थी मगर सीकर के नेताजी हर विरोध प्रदर्शन की तरह यहाँ से भी पूरी मुस्तैदी से गायब रहे थे

३. कांग्रेस द्वारा आयोजित जिले की सबसे बड़ी सभा सीकर नहीं धोद में हुई 

किसी भी जिला मुख्यालय में सबसे बड़ी सभा हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होती मगर सीकर की सभा काफी सामान्य रही और सीकर से बड़ी सभा "मेरा बूथ मेरा गौरव" कार्यक्रम में धोद में हुई | इसका एक और कारण हनुमान बेनीवाल की सीकर हुंकार रैली भी अगले ही दिन सीकर में होना भी रहा मगर राष्ट्रीय पार्टी के पदाधिकारी ये कैसे पचा सकते हैं कि बाहर का विधायक उनके नेता के एरिया में इतनी बड़ी सभा कैसे कर दे और उनकी सभा में टेंट थोड़ा बहुत खाली कैसे रह जाए

४. सीकर में राहुल गाँधी की सभा पूरी तरह महरिया ब्रदर्स के पाले में 

कांग्रेस का असली जमीनी दम पहली बार सीकर में तब दिखा जब राहुल गाँधी की सभा जिला स्टेडियम में हुई जहाँ महीने भर पहले ही अमित शाह ही सभा पूरी तरह फ्लॉप हो गई थी मगर इसका फायदा पूरी तरह मुख्य भूमिका में दिखाई देने वाले सुभाष महरिया ले गए | फतेहपुर में तीसरा मोर्चा जाट कैंडिडेट उतार सकता है जिसके चलते नन्द किशोर महरिया फतेहपुर की जगह सीकर सीट की डिमांड कर सकते हैं|

 ५.लोकल अख़बारों में सीट फाइनल होने की खबर प्लांट कराना भारी पड़ा 

कद्दावर नेता जी लोकल अख़बार में दो हफ्ते पहले ही सीट फाइनल हो जाने की खबरें प्लांट करवा रहे थे जिसपर आम तौर पर नेशनल कमिटी का ध्यान नहीं जाता मगर आईटी के दौर में शियाकत करने वालों की भी कमी नहीं होती साथ ही सीट बांटने वाले अच्छी तरह से जानते हैं अख़बारों में उम्मीदवाई की खबर कैसे आती है| इसके बारे में सीकर टाइम्स समय समय पर लिखता रहता है। 



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