सीकर : सीकर टाइम्स की विश्वसनीयता का अंदाज़ा आप इस तरह से लगा सकते हैं कि बड़े चैनलों की तामझाम और पैसे की ताकत के आगे हम बार बार नेशनल चैनलों को पछाड़ते हैं
करते क्या हैं बड़े चैनलों वाले जो लोग उनको देखते ही नहीं
असली खबर जिसको लोग जानना चाहते हैं उसकी जगह टीवी चैनल अपने हिसाब से ख़बरों का रुख मोड़ना चाहते हैं और वो दिखाते हैं जो खबर है ही नहीं तो उनको सीकर टाइम्स जैसे छोटे पोर्टलों से टक्कर और पटखनी मिलती है, दूसरा क्वालिफिकेशन का भी अंतर है क्यूंकि सीकर टाइम्स की एवरेज क्वालिफिकेशन देश में किसी अन्य चैनल की नहीं है
सेवा नहीं मेवा का चक्कर
सीकर टाइम्स से ज्यादा तेज़ तर्रार कोई दूसरा पोर्टल है ही नहीं, अब जबकि शौर्य गर्जना भी सीकर टाइम्स के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ा हो गया है तो आने वाले समय में राष्ट्रीय चैनल भी अपनी साख बचाने असली खबर डालनी शुरू करेंगे जिससे जनता को है असली सरोकार | वैसे जनता का सरोकार नाम भी टीवी वालों ने इतना पीट दिया है कि उनके जो भी प्रोग्राम जनता का सरोकार के नाम से आते हैं वहां पर भी वो जनता में किसी न किसी एजेंडा को जबरदस्ती थोपने की कोशिश करते दिखे हैं
जातिवादी मीडिया को मुँह तोड़ जवाब
टीवी पर सुबह से लेकर शाम तक किसी भी चैनल को लेकर बैठ जाएँ और सभी anchors की जाति नोट करने लगें तो पता चलेगा दो तिहाई एक ही जाति विशेष के सिफारिशी लोग हैं, यह जातिवाद साधारण जनता को कभी समझ नहीं आया क्यूंकि जहाँ पूरी मीडिया ही जातिवाद का शिकार हो वहां ये मुद्दा कौन उठाये, किसीमें हिम्मत ही नहीं थी हमसे पहले | कुछ भी सोचने से पहले आज तक जैसे चैनल के सभी एंकर के नाम और जातियां ध्यान में लाएं और इतने अंधे न बने, ये सभी चैनलों का हाल है कि बोलना आये न आये जाति वही होनी चाहिए , दूसरे रिपोर्टर धूप बरसात में भटकने, ख़ाक छानने के लिए ही हैं (उनके भी नाम सोच लें, आँखें खुल जाएंगी)
जातिवादी मीडिया और जाति के ठेकेदार नेता प्रेशर में
सामाजिक नेता और समाज के ठेकेदार नेता भी पहली बार सीकर टाइम्स की वजह से प्रेशर में आये हैं जब उनके समाज के लोग उनसे पूछने लगे हैं कि तुम्हारा मीडिया मैनेजर और पी आर अपने समाज का क्यों नहीं है जबकि सारा सारा दिन समाज समाज का चिल्लाना रहता है तुम ठेकेदारों का | असली सवाल का सामना हम करवा रहे हैं आजतक केवल सेटिंग वाले सवालों के उत्तर दिए हैं जातिवादियों ने इसके चलते ऐसे लोग हमपर जातिवाद तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं जो हमें पसंद है
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