राजस्थान की वर्त्तमान भाजपा सरकार को अभूतपूर्व दो तिहाई बहुमत दिलवाने में न तो अशोक गहलोत की बेहद ख़राब स्तिथि जिम्मेदार थी और न ही वसुंधरा की सशक्त छवि का कोई योगदान था बल्कि ये कमाल मोदी लहर का था जिसमें कांग्रेस के तम्बू ऐसे उखड़े कि उपचुनाव में जाकर उन्हें जमीन मिल पाई है तो क्या अमित शाह इतनी आसानी से खेल को कांग्रेस के पक्ष में जाने देंगे ? लगता तो नहीं क्यूंकि पूरे देश ने देखा कि कैसे रातोंरात जीती हुई कांग्रेस गोवा में विपक्ष बनी बैठी है और छोटे से प्रदेश के लिए भाजपा एडी चोटी का जोर लगा देती है तो देश के सबसे बड़े राज्य को इतने आराम से कांग्रेस की कमजोर लीडरशिप के पास जाने देना कोई तर्कसंगत नहीं लगता

दिल्ली नगर निगम में भाजपा का जाना तय था मगर गई नहीं 

आम आदमी पार्टी ने विधान सभा में जिस तरह झाड़ू लगा दी थी उसके बाद नगर निगम में हुए घोटाले और परेशान जनता ने भाजपा को निगम से भी किनारे लगाने का पूरा मन बना लिया था | वहां के पार्षद इतने गहराई तक अपने ऊपर सुने को अनसुना करने की जिद्द ठाने बैठे थे और एकजुट होकर दोबारा चुनाव लड़ने के लिए कोरी फंतासियों में मशगूल थे कि उनपर अमित शाह ने एकसाथ ही घर वापसी करवा दी और सभी सीटों पर नए लोगों को टिकेट दे दी | अंजाम ये हुआ कि जिस भाजपा को बीस प्रतिशत भी समर्थन नहीं था वो पूरी परिषद् की माईबाप बन गई | अब ऐसे फैसले लेने वाले दूसरी पार्टियों में हैं भी नहीं और इतिहास में भी नहीं दिखाई दिए थे तो कोई राजनीतिक विशेषज्ञ नतीजों को कैसे जान पाता | 

राजस्थान में भी दो चार को छोड़कर एक भी नेता अपने दम पर नहीं जीता है 

राजेंद्र राठोड, अशोक परनामी और ऐसे ही गिने चुने नाम हैं जो बिना लहर के भी जीत रहे थे उसके अलावा तो बाकि किसीको बिना पार्टी चिन्ह के शायद ही जमानत बचा पाने की स्तिथि थी| ऐसे में वर्त्तमान के जो नेता, मंत्री बने बैठे हैं उनका कार्यकाल उनके खिलाफ जा रहा है, जनता किस कदर नाराज़ है उनसे ये किसी से छुपा नहीं है ऊपर से कई ऐसे फैसले ले लिए गए हैं जो मोदी की नीतियों के विरुद्ध जाते हैं जिसके चलते मोदी और शाह एकदम चुप्पी साधे हुए बैठे हैं जैसे कह रहे हों, देख लो एकबार हमारे बिना तुम्हे जनता क्या बना देगी 

कितना प्रतिशत है कि वर्त्तमान सीटों पर सभी विधायक रिपीट कर दिए जाएँ तो वो जीत पायेंगे 

राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इनकी प्रतिशत तीस-चालीस तक भी नहीं पहुंचेगी मगर हम जमीनी स्तर पर जो देख रहे हैं उसके हिसाब से बीस भी एक बड़ा आंकड़ा है और पिछले कुछ दिनों में सभी क्षेत्रों में अलग अलग वर्ग जिस कदर हैरान परेशान घूम रहा है जो भाजपा को दिल्ली की कांग्रेस बना दे तो हमें आश्चर्य नहीं होगा 

क्या भाजपा ऐसा कर सकती है कि कद्दावर नेताओं को भी टिकेट न दें 

जो लोग भाजपा को जानते हैं वो इस बात को शायद नहीं माने मगर जो लोग मोदी शाह को जानते हैं वो ये जानते हैं कि इसका समय आ चूका है और बस अब ये कब एलान होगा उनकी नज़र इसपर जमी हुई है | अभी जिस तरह राजस्थान में स्तिथि बनी हुई है वैसी स्तिथि भाजपा में पहले भी आई है मगर मोदी शाह की भाजपा में नहीं आई है 

"मोदी तुझसे बैर नहीं रानी तेरी खैर नहीं"

अगर आपने ये नारा सुना नहीं है तो आप जमीन पर नहीं हैं, ये नारे भाजपा के अंदर से बने हैं और सोशल मीडिया के अलावा गली मुहल्लों में भी कभी कभी सुनाई दे जाते हैं | ये वही लोग हैं जो कल तक मोदी के नाम पर अम्रीका से भी भिड जाने का दम रखते हैं मगर इनके होसले अभी इतने पस्त हैं कि अगर कोई रातोंरात फेर बदल नहीं हुआ तो नारे में मोदी की खैर भी जोड़ देंगे |

अब देखना ये है कि शाह के तरकश में कौनसे ऐसे तीर हैं जो किस तरह उड़कर आते हैं| इस बात में कोई शक नहीं कि इतना बड़ा राज्य इतने सस्ते में कोई नहीं जाने देता और जिस प्रकार के रणनीतिकार पार्टी लाइन को सँभालते हैं वो कोई न कोई तैयारी करे हुए ही बैठे हैं नहीं तो इतने कम समय में इतनी शांति कभी नहीं देखी | चुनाव की तैयारी के हिसाब से फिलहाल भाजपा दो महीने पीछे दिख रही है जो स्वाभाविक नहीं है| निश्चित है कुछ बड़ा पक रहा है जो अब सामने आने वाला है, इंतजार करिए कुछ दिन और |


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