माकपा की विचारधारा ट्रिपल तलाक  के विरुद्ध है और ये उन्होंने ऑफिसियल स्टेटमेंट देकर खुद साफ़ कर दिया है अपनी वेबसाइट पर इसलिए जो लोग ये जानना चाह रहे हैं कि उन्होंने उसी समय आनन् फानन में एक दूसरी रैली का एक दिन में आयोजन क्यूँ किया जबकि मुस्लिम महिलाओं की पूर्व निर्धारित रैली कई हफ़्तों पहले से करने की तारिख दी जा चुकी थी तो उस मुद्दे पर माकपा पहले ही अपना स्टैंड दे चुकी है और वो कहती है कि "सीपीआईएम समर्थन करती है मुस्लिम महिलाओं की मांग का जो मनमाना/तुरंत तलाक के खिलाफ हैं" और कल जो रैली थी वो इसके उलट थी जहाँ महिलाएं कह रहीं थी कि हाल में पेश किया तीन तलाक बिल वापस लिया जाना चाहिए

विरोध करना संवेधानिक अधिकार है 

किसी बात से असहमति होने पर विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार संविधान खुद देता है और अगर विरोध शांतिप्रिय ढंग से करा जाए तो वो विरोध दूसरों के लिए भी उदहारण देता है | इसके चलते कल सीकर में महिलाओं की रैली के इतिहास का सबसे बड़ा दिन था क्यूंकि खुद महिलाएं हजारों की संख्या में विरोध करते नज़र आई

कई रैली एक साथ होने पर व्यवस्था बिगडती है, भीड़ पर भी असर होता है 

अगर शहर भर में सभी संगठनों को पता हो कि बड़ी रैली होने वाली है तो हमेशा देखा जाता है कि दूसरा संगठन रैली या सभा नहीं करता जिसके राजनितिक ही नहीं व्यवस्था के भी कारण होते हैं, मीडिया भी बंट जाता है अगले दिन अखबार के कुछ हिस्से भी बंट जाते हैं और भीड़ पर असर होता है वो अलग है ही | आज के अखबार उठाने पर भी यही दिखाई देता है कि विरोध प्रदर्शन के अनुसार जगह बंटी हुई है | छोटे अखबार और agencies तो दोनों में से एक ही रैली कवर कर पाती हैं|

क्यूँ उठे सवाल 

माकपा के लोकप्रिय नेता खुद अभी सीकर में नहीं हैं और कल सभा में भी नहीं उपस्थित थे जिसके चलते सभा में भीड़ भी कम ही दिखाई दी, अगर यही माकपा सभा अगले हफ्ते होती तो अमराराम भी मौजूद रह पाते ऐसे में इतनी आनन फानन में हुई रैली ऑफिसियल स्टेटमेंट नहीं आया है | बता दें कि माकपा के फेसबुक पेज पर भी कल ही इसकी घोषणा हुई थी

महापुरुषों की मूर्ति तोड़ने के खिलाफ माकपा 

गुंडागर्दी के खिलाफ लाल झंडे हमेशा खड़े रहते हैं और माकपा कभी गुंडागर्दी नहीं करती न ही किसी पर हमला करती है, न मूर्ति पर और न जिन्दा आदमी पर ये कहना था वक्ताओं का जो लेनिन, अम्बेडकर की मूर्ति तोड़े जाने का विरोध कर रहे थे मगर साथ ही कुछ महापुरुषों की मूर्ति का नाम लेना भूल गए जिनके बारे में आरोप लगाये जा रहे हैं कि वो माकपा कार्यकर्ताओं ने तोड़ी हैं | वैसे सीकर एक शांत जगह है यहाँ के लोग हर महापुरुष का सम्मान करते हैं |

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