सियासी गलियारों में आज का दिन अफवाहों और कयासों का रहा, राजस्थान में अब चुनाव नजदीक हैं और सीकर टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में पहले ही प्रकाशित किया था कि भाजपा के मंत्रियों से जनता काफी नाराज़ चल रही है इसके अलावा हमने विभिन्न जिलों में अपने साथी पत्रकारों और जमीन से जुड़े राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा हवा का भी पता करवाने की कोशिश की थी जिसमें हमारे विशेषज्ञों की रिपोर्ट में आया था कि हवा बदल रही है और साथ ही ये भी कयास लगाये थे कि राजेंद्र राठोड और अशोक परनामी जैसे कुछ ही नाम बचे हैं जो अभी तक जनता के आकर्षण में खरे उतर पाए हैं

जल्द हो सकते हैं बड़े बदलाव 

राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार के उपचुनाव ने भाजपा की नींद उड़ा दी है जिसमें गोरखपुर की सीट जाने के बाद अब केंद्र समिति राजस्थान को बिलकुल हलके लेने के मूड में नहीं है ऐसे में ये बात बिलकुल पक्की है कि छोटे राज्य में सरकार बनाने/बचाने के लिए जो प्रयास भाजपा करती है उसको देखते हुए अगले कुछ महीनो में राजस्थान की हवा बदल सकती है, अब जो भी फैलसे देखने को मिलेंगे उनका कयास राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा भी लगाया जाना मुश्किल है

भाजपा के फैलसे का पता लगाना मुश्किल क्यूँ होता है 

वर्त्तमान भाजपा में एक अलग तरह की व्यवस्था है जो मोदी से पहले वाली भाजपा से बहुत कुछ मेल खाती है मगर फिर भी उसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हैं, अभी समिति में जो फैसला होता है वो सबकी सोच के अनुसार होता है और कई बार ऐसा भी होता है कि जिस फैसले को लेने के लिए समिति में कार्यकर्ता जमा हुए हों बैठक के बाद फैलसा उससे उल्टा ही होता है और सभी सहमत भी होते हैं| समय के साथ इस बदलाव को लाने से गलत फैलसे काफी हद तक टाले जा रहे हैं और भाजपा का फैलता वर्चस्व इसी की देन है | दूसरी पार्टियाँ इसमें काफी पीछे हैं

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