सीकर: कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार सीकर आए और सीकर वासियों ने शानदार भीड़ के साथ उनकी सभा का स्वागत किया। सभा शुरू होने से कुछ घंटे पहले सीकर टाइम्स पर एक पोल आयोजित किया गया था जिसमें पूछा गया था कि सीकर में 2018 की सबसे बड़ी सभा का रिकॉर्ड क्या बेनीवाल के ही नाम रहेगा या राहुल गांधी उसे तोड़ पाएंगे।
अमित शाह और वसुंधरा की सभाओं में कम रही भीड़
चुनाव के मौसम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और राजस्थान की वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी सीकर में सभाएँ की जिसमें भाजपा कार्यकर्ताओं की सुस्ती साफ़ झलकी जिसकी वजह से सभाओं में भीड़ काफ़ी कम दिखी अमित शाह की सभा तो जिला स्टेडियम में आयोजित की गई थी क्योंकि रामलीला मैदान में जगह कम होने की वजह से 6-8 हज़ार लोग ही आ सकते थे ऊपर से सुरक्षा कारणों के मद्देनज़र अमित शाह और जनता के बीच में काफ़ी जगह ख़ाली भी रखनी पड़ती है। अमित शाह की रैली में बेहद कम भीड़ दिखाई दी जिसका आंकड़ा रामलीला मैदान के लिए भी काफ़ी रहता। वहीं दूसरी ओर वसुंधरा राजे ने रामलीला मैदान में ही गौरव यात्रा की सभा की थी जिसमें छोटे मैदान के हिसाब से ठीक ठाक भीड़ आ गयी थी।
बेनीवाल की हुंकार रैली में दिखाई दी बंपर भीड़
हनुमान बेनीवाल के समर्थक सीकर से ज़्यादा बाहरी क्षेत्रों से जुटे थे और साथ ही सभा का आयोजन बेहद सख़्त मौसम में हुआ था जिसमें ज़्यादातर लोग घर से निकलने से ही बचते हैं। मई में हुई सभा की भीषण गर्मी में भी जिला स्टेडियम तक़रीबन भर गया था ऊपर से स्टेडियम के बाहर भी काफ़ी भीड़ थी। सभा के लिए तीन डोम लगाए गए थे।
राहुल गांधी की सभा के लिए हर ज़िले के कांग्रेस नेताओं ने मेहनत की
राहुल गांधी की सीकर सभा में कार्यकर्ताओं को सभा स्थल तक पहुंचाने के लिए तकरीबन सभी लोकल नेताओं ने दिन रात एक कर दिया था जिसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सुभाष महरिया ने निभाई। सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह सुभाष महरिया ने ही सभा बुलायी गई थी जिनके ऊपर कांग्रेस से पहले भाजपा और भाजपा से वापस कांग्रेस में आने की वजह से AICC में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने का प्रेशर था। दूसरे क्षेत्रों की सभाओं के मुक़ाबले सीकर की सभा वर्तमान चुनाव में कांग्रेस की सभाओं में से बेहतर सभा थी और माना जा सकता है कि सुभाष महरिया ने अपना टारगेट पूरा किया।
आखिर किसकी सभा ज़्यादा बड़ी थी
हनुमान बेनीवाल की सभा और राहुल गांधी की सभाओं में दो तरीक़े से कंपैरिजन किया जा सकता है पहला उपस्थित श्रोताओं की भीड़ और दूसरा सोशल मीडिया पर सभा के वीडियों के व्यू और शेयर। जहाँ तक कार्यकर्ताओं के सभास्थल तक पहुँचने का कम्पेरीजन किया जाए तो उसमें कई और फैक्टर भी शामिल करने पड़ेंगे जैसे ही सभा का समय मौसम और व्यवस्था। हनुमान बेनीवाल की हुंकार रैली में यह तीनों ही विपरीत थे साथ ही हनुमान बेनीवाल ख़ुद एक विधायक हैं जिनके पास व्यवस्था करने के लिए उतने रिसोर्स नहीं हैं वहीं दूसरी और कांग्रेसी दिग्गज काफ़ी समय से सत्ता में रह चुके हैं साथ ही राहुल गांधी अशोक गहलोत और सचिन पायलट के प्रति लोगों की दीवानगी उन्हें कांग्रेस समर्थक नहीं होते हुए भी सभास्थल तक खींच लाती है। इतना सब होने पर भी ज़मीन पर भीड़ में कोई बड़ा अंतर देखने को नहीं मिला और हुंकार रैली की भीड़ राहुल गांधी की सभा से कुछ आगे ही रही।
सोशल मीडिया पर बेनीवाल के समर्थकों ने रिकार्ड तोडे़
जब सीकर टाइम्स पर लोगों से भीड़ के बारे में व्यक्तिगत राय जानने के लिए पोल करवाया तो बेनिवाल समर्थकों ने पोल को एकतरफ़ा कर दिया जिसमें क़रीब 10 हज़ार वोट पड़े जहॉं 83% ने हनुमान बेनीवाल की भीड़ के रिकार्ड को कायम रहने के पक्ष में वोट डाले और 17% ने राहुल गांधी की सभा के पक्ष में। अमूमन ऐसे पोल में समर्थक अपने नेताओं के पक्ष में वोट डालते हैं चाहे प्रशन कुछ भी हो इसके लिहाज से भी देखा जाए तो क्षेत्र में पापुलेरिटी के पैमाने में बेनीवाल का ही बोलबाला है।
कहॉं है पोल का लिंक
भीड़ वाले पोल को 70 हजार लोगों ने देखा और करीब दस हजार ने हिस्सा लिया। फेसबुक पर पोल देखने के लिए यहॉं क्लिक करें https://www.facebook.com/1698049700435488/posts/2191913754382411/
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