भिवानी : शेर सिंह राणा ने क्षत्रिय केंद्रित राजनैतिक पार्टी बना ली है जिसका नाम तो राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी है मगर लोग उसे राजपूत जनहित पार्टी कहने से नहीं चूकते हैं, ऐसा कहने पर शेर सिंह राणा व अन्य पदाधिकारी कोई विरोध दर्ज नहीं करते और उल्टा कहते हैं कि जब बाकि जातियों ने अपनी अपनी पार्टिया बना ली तो हमें अपनी पार्टी बनाने में किसी को क्या समस्या हो सकती है इसके साथ ही वो बताते हैं कि स्वर्णो में क्षत्रिय समाज बीस फ़ीसदी से भी ज्यादा है मगर उसकी हिस्सेदारी सरकारी, प्रशासनिक नौकरियों में पांच फ़ीसदी भी नहीं है और इसकी वजह से समाज अब कष्ट की स्तिथि में है

मंच और मीडिया के सामने क्या कहा राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र नरुका ने 

राजेंद्र नरुका मंच सञ्चालन के साथ मीडिया के प्रवक्ता है और वो आंकड़ों के साथ हर सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं कि क्षत्रिय को अपनी आबादी के अनुसार हिस्सेदारी मिलनी चाहिए नहीं तो समाज पीछे जाते जाएगा | उनका यह भी तर्क है कि जब राजपाठ क्षत्रियों का था तो वो हर किसी समाज को उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करते थे और भारतीय सभ्यता का स्वर्णिम काल क्षत्रियों के राज में ही आया है, लोग हमेशा राम राज की बात करते हैं जहाँ सबको सम्मान सबको भागीदारी थी और सब खुश थे

आज़ादी के बाद क्यों पिछड़ते जा रहे हैं क्षत्रिय 

सबसे बड़ा कारण आरक्षण को बताया जाता है मगर आंकड़ों के जानकर बताते हैं कि आरक्षण के पहले और बाद में क्षत्रियों को नौकरियों में कोई फरक नहीं पड़ा है, आरक्षण का सबसे बड़ा फरक ब्राह्मण समाज को पड़ा बताया जाता है, जब विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की शुरुआत की थी तब से पहले और बाद में भी क्षत्रिय नहीं बल्कि ब्राह्मण भागीदारी पर ज्यादा फरक पड़ा है, क्षत्रियों को जनरल में अपनी आबादी के अनुसार भागीदारी नहीं है इसपर शोध की आवश्यकता है और शेर सिंह राणा की पार्टी भी उसी शोध का हिस्सा हो सकती है जो किसी के खिलाफ नहीं है केवल क्षत्रिय भागीदारी राजनैतिक और प्रशासनिक लेवल पर बढ़ाने के लिए सजग दिखती है


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