जयपुर: कांग्रेस इस समय एक संकट से जूझ रही है और वह संकट केवल इतना ही नहीं है कि उसके पास विधायकों की गणित छोटी है बल्कि संकट का मुख्य कारण विधानसभा की कार्यवाही ठीक प्रकार से चले और क़ाबू में रहे ज्यादा है। अध्यक्ष का पद आमतौर पर ऐसे वरिष्ठ विधायक को दिया जाता है जिसे संसदीय परम्पराओं का पूरी तरह ज्ञान हो साथ ही उसका सदन में कार्यकाल भी लंबा रहा हो। इन सभी पैमानों पर अगर नज़र डालें तो पूरे राज्य भर में चार पाँच नाम सूची में आते हैं जिनमें CP जोशी, हेमाराम चौधरी के अलावा शेखावाटी से दीपेंद्र सिंह शेखावत और परसराम मोरदिया का नाम सबसे ऊपर समझा जाएगा। CP जोशी अगर ख़ुद मना नहीं करें तो उनके पास यह पद तक़रीबन रिज़र्व है क्योंकि माना जा रहा है सी पी जोशी ने गहलोत के मंत्रिमंडल में जानबूझकर जगह इसलिए नहीं ली क्योंकि उन्हें गहलोत के नीचे काम करना पसंद नहीं है तो इस हिसाब से CP जोशी के मंत्रिमंडल में न रह कर भी एक बेहद सम्मान जनक पद ग्रहण कर सकते हैं। ![](https://lh3.googleusercontent.com/-mbniqAb07Eo/XCdkjp_PJ8I/AAAAAAAAPqo/oGcW2I5mVUcCg9qlgxsdkxbPngUeXwYywCHMYCw/s5000/%255BUNSET%255D)
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शेखावाटी में कांग्रेस पार्टी के पास तीन नाम है जिसमें राजेंद्र पारीक दीपेंद्र सिंह शेखावत और परसराम मोरदिया है। राजेंद्र पारीक को आने वाले मंत्रिमंडल में जगह मिलने के आसार होने की वजह से वह इस दौड़ में शामिल नहीं हैं अब बचे दीपेंद्र सिंह शेखावत और परसराम मोरदिया। दीपेंद्र सिंह शेखावत या हेमाराम चौधरी में से किसी एक को अगर अध्यक्ष पद नियुक्त कर दिया जाता है तो जाटों और राजपूतों में से एक धड़ा नाराज़ हो सकता है साथ ही इसका कोई कांग्रेस को बड़ा फ़ायदा भी नहीं मिलने वाला।
परसराम मोरदिया नासिर्फ शेखावाटी का जाना माना नाम है बल्कि दलित समाज में भी उनके बराबर लोकप्रिय नेता कोई दूसरा नहीं है जिनके इस बार मंत्रिमंडल में शामिल होने की भी पूरी पूरी संभावना थी मगर अब लोक सभा को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल का चयन अलग तरीक़े से किया गया है। मोरदिया को पद देने से कांग्रेस को कई फ़ायदे होंगे पहला तो यह कि मोरदिया का मैनेजमेंट अव्वल दर्जे का है जिसकी वजह से वह जाने जाते हैं इसके अलावा मोरदिया छठी बार विधायक बनकर कांग्रेस का सबसे मज़बूत दलित चेहरा हैं और जिन्हें अध्यक्ष पद देकर कांग्रेस न सिर्फ़ दलित वोटरों में अपनी पकड़ मज़बूत कर सकती है बल्कि कई अन्य परेशानियों से भी बच सकती है। इसके अलावा मोड़ दिया के विपक्षी पार्टी भाजपा से भी अच्छे संबंध हैं जिनके चलते कई मसलों पर कांग्रेस को वह फँसने से बचा लेने में काबिल हैं। सीकर में जहाँ केवल एक मंत्री बनाया गया है जबकि कांग्रेस को ज़िले ने सबसे ज़्यादा विधायक दिए वहाँ पर परसराम मोरदिया का नाम अपने आप सबसे ऊपर हो जाता है। देखना यह है कि आला कमान इस बारे में क्या फ़ैसला करती है।
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