सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(1) के तहत बड़ा खुलासा।  

पहले पढ़िए इस पत्र को 

सेवामें,  
माननीय  मंत्री महोदय स्वायत्त शासन विभाग राजस्थान सरकार जयपुर                   
विषय  राजस्थान सरकार स्वायत्त शासन विभाग जयपुर में  हो रहे भ्रष्टाचार अनियमितताएं पद का दुरूपयोग पर कार्यवाही करनें बाबत महोदय आपको उपरोक्त शिकायत तत्कालीन आयुक्त नगर परिषद सीकर श्री भंवर लाल सोनी हाल आयुक्त नगर परिषद चुरू के खिलाफ प्रस्तुत कि जा रही हैं  कि आयुक्त भंवर लाल सोनी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में मुकदमा नम्बर 494/2011 मुकदमा नम्बर 175/2015 मुकदमा नम्बर 85/2016 दर्ज है आयुक्त भंवर लाल सोनी के विरुद्ध धारा 13 (1) डी,13 (2) पीसी एक्ट 1988 एवं 420,467,468,471,477 ए 201 व 120 बी भारतीय दंड संहिता के अन्तर्गत मुकदमे दर्ज है राजस्थान सरकार स्वायत्त शासन विभाग जयपुर के  पत्र, क्रमाक प,2 /अ,स,494/11/06/एसीबी/डीएलबी/14/680  दिनांक 12/07//2016 अभियोजन स्वीकृति 494/2011  जारी कि गई मुकदमा चलाने के लिए   भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को  पत्र क्रमाक प,2/अ,स,175/15/02/एसीबी/डीएलबी/16/685 दिनांक 12/07/2016 अभियोजन स्वीकृति 175/2015 जारी कि गई मुकदमा चलाने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को पत्र क्रमाक प,2/अ,स,85/12/06/एसीबी/डीएलबी/16/800 दिनांक 19/12/2016 अभियोजन स्वीकृति 85/2012 जारी कि गई मुकदमा चलाने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को लेकिन भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारीयो कि लीपा-पोती के कारण आयुक्त भंवर लाल सोनी के होंसले बुलंद है  आज भी नगर परिषद चुरू में  आयुक्त के पद  पर पद स्थापित है  हाल में ही राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर ने एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि एसीबी भ्रष्टाचार का अड्डा है   उसके बाद भी  एसीबी के उच्च अधिकारीयो के कानूतले झु तक नहीं रेक रही हैं  आयुक्त नगर परिषद चुरू श्री भंवर लाल सोनी के खिलाफ राजस्थान सरकार स्वायत्त शासन विभाग जयपुर के द्वारा दर्जनो  16 सी सी ए एवं 17सी सी ए के नोटिस जारी किये गये हैं  फिर भी राजस्थान सरकार स्वायत्त शासन विभाग जयपुर द्वारा आयुक्त भंवर लाल सोनी के खिलाफ बर्खास्त करनें की कार्यवाई नहीं कि जा रही हैं क्युकि स्वायत्त शासन विभाग जयपुर के प्रमुख शासन सचिव डॉ  मनजीत  सिंह व निदेशक स्वायत्त शासन विभाग जयपुर के पवन अरोङा कि तथा मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे के निजी सहायक  धीरेन्द्र कमठान कि मिलीभगत से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारी कार्यवाई करनें से कतरा रहे हैं  नगर परिषद आयुक्त श्री भंवर लाल सोनी के द्वारा अपने  कार्यकाल में पद का दुरूपयोग कर भिभीन नगर निकायों को करोड़ों रूपये की आर्थिक हानि पहुचा  चुका है  अंत आपसे निवेदन है कि इस भ्रष्टाचारी आयुक्त भंवर लाल सोनी के खिलाफ बर्खास्त करनें कि कार्यवाई कि जावे तथा भिभीन नगर निकायों को करोड़ों रूपये की हानि पहुचाने  कि रिकवरी राज कोष में  जमा करवाने कि कार्यवाई कि जावे आयुक्त ने अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध निर्माणकर्ताओ से मिलीं भगत कर बीस करोड़ रुपये की ब्लेक मनी से आय अर्जित कर नगर परिषद सीकर राजस्व कोष को भवन निर्माण इजाजत से होने वाली करोड़ रुपये की आय का नुकसान पहुंचा चुका हैं।  अगर स्वायत्त शासन विभाग जयपुर के निदेशक पवन अरोङा द्वारा सात दिवस में  कार्यवाई नहीं  कि गई तो मुझ  प्रार्थी  द्वारा  मामला राजस्थान विधानसभा में उठाया जायेगा जिस के लिए आप स्वम जिमेदार होगे  जिससे  भ्रष्टाचार अनियमितताएं पद का दुरूपयोग गबन करनें  वाले अधिकारीयो /कर्मचारीयो के होंसले बुलंद न हो सके                            
सत्यमेव जयते   दिनांक19/01/2019                                       
पी एस जाट आरटीआई कार्यकर्ता एवं जिलाध्यक्ष  सीकर  
राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक एवं अत्याचार विरोधी टाइगर्स संस्थान (टाइगर्स फोर्स) नई दिल्ली-75

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छूट का लाभ लेकर 57 लाख मे खरीदी होटल भूमि को 9 करोड़ में  बिकवाया?

बाड़मेर: नगरपरिषद की टाउनशीप योजना में नई होटल नीति में मिली 50 प्रतिशत छूट का लाभ लेकर 57 लाख में खरीदी गई होटल भूमि को 9 करोड़ में जालसाजीपूर्वक बिकवाने का सनसनीखेज मामला सामने आया हैं। नगरपरिषद के सभापति पूरे मामले को रफादफा करने की कोशिश में हैं। पूर्व आयुक्त कुमार श्रवण विश्नोई ने रियायती दर की इस भूमि का संस्थानिक प्रयोजनार्थ भू उपयोग बदलवाने के लिए एक फर्जी चिट्ठी का सहारा लेकर राज्य समिति से मंजूरी भी दिलवा दी। लाखों की डील इस सौदे मे बतौर रिश्वत होने के आरोप लग रहे हैं।
प्राप्त खबर के अनुसार नगरपरिषद ने सदर थाने के समीप की टाउनशीप योजना मे डाटा विजन नामक कंपनी को 2007 में नई होटल नीति में दी जाने वाली 50 प्रतिशत रियायत का लाभ देकर 57 लाख 51 हजार में होटल के लिए भूमि दी थी। जिस पर कायदे से सिर्फ होटल का निर्माण ही किया जा सकता था।
लेकिन कंपनी ने पूर्व नगर परिषद आयुक्त कुमार श्रवण विश्नोई के साथ बड़ी डील कर इस जमीन को करीबन 9 करोड़ में बिकवाने का प्लान रचा। इस षड़यंत्र के तहत तत्कालीन आयुक्त ने उक्त होटल कंपनी की ओर से रियायती दरों पर दी गई होटल भूमि का भू उपयोग संस्थानिक प्रयोजनार्थ करवाने का आवेदन प्राप्त किया। इस आवेदन को जोधपुर के नगर नियोजन विभाग को भेजा, जहां से तकनीकी परीक्षण बाद कुछ शर्तो पर भू उपयोग परिवर्तन के निर्देश दिये। लेकिन चतुर एवं होशियार आयुक्त ने इस चिट्ठी में यह कहीं नही लिखा कि उक्त भूमि रियायती दरों पर होटल उपयोग के लिए ही दी गई थी।
इसके बाद इस आयुक्त ने यह मामला राज्यस्तरीय भू उपयोग परिवर्तन समिति को भेजा लेकिन उसमें भी रियायती दर पर होटल भूमि का आवंटन होने की बात को न केवल छुपाये रखा बल्कि राज्य समिति को गुमराह करने के लिए भेजे गये प्रस्ताव में इस बात का झूठा और फर्जी ही उल्लेख कर दिया कि 27 जुलाई 16 को सम्पन्न हुई जिला स्तरीय भू उपयोग परिवर्तन समिति की बैठक ने इस प्रकरण को मंजरूी दे दी हैं। आश्चर्य एवं चैकान्ने वाली बात तो यह हैं कि 27 जुलाई 16 को बाड़मेर में जिला स्तरीय भू उपयोग परिवर्तन समिति की कोई बैठक आयोजित ही नहीं हुई। ज्ञात रहें कि जिला स्तरीय भू उपयोग परिवर्तन समिति की बैठक का चेयरमेन नगर परिषद का सभापति होता हैं एवं सदस्य सचिव खुद आयुक्त होता है। खबर हैं कि इस आयुक्त ने बिना बैठक हुए हीं राज्य समिति को भेजें प्रस्ताव में उल्लेख कर उक्त कंपनी को रियायती दर पर होटल प्रयोजनार्थ दी गई भूमि का संस्थानिक उपयोगार्थ भू उपयोग परिवर्तन करवाने की स्वीकृति हांसिल कर ली।
और सबसे बड़ा कबाड़ा यह किया आयुक्त ने
तत्कालीन आयुक्त कुमार श्रवण विश्नोई की करतूतों का यहीं अंत नही हुआ। राज्य स्तरीय समिति की बैठक दिनांक 13 जनवरी 17 में लिये गये सभी निर्णर्य संदिग्ध होने पर राज्य सरकार ने 3 जनवरी 17 को ही रोक  लगा दी थी। लेकिन नगर परिषद आयुक्त श्रवण कुमार  विश्नोई ने इसकी भनक लगते ही दूसरे दिन 4 जनवरी 17 को उक्त होटल कंपनी के नाम डिमाण्ड नोट जारी कर दिया। कंपनी ने मिली भगती के तहत 9 जनवरी 17 को आरटीजीएस से नगरपरिषद के खाते में करीबन 18 लाख रूपये की राशि बतौर भू उपयोग परिवर्तन शुल्क जमा करवा दी। इस कंपनी ने एक दिन बाद यानि कि 11 जनवरी 17 को ही उक्त भूमि का बेचान जरिए रजिस्ट्री संत निरंकारी संस्थान को कर दिया।
आयुक्त की दरियादिली तो यह रही कि पूरी फाइल में भू उपयोग परिवर्तन शाखा के किसी अधिकारिक लिपिक की टिप्पणी या हस्ताक्षर तक नही हैं पूरी फाइल को बिना लिपिकीय हस्ताक्षर एवं टिप्पणी के खुद ने ही चला कर कार्यवाही पूरी करवा दी। इस तरह पूर्व आयुक्त ने जालसाजी कर रियायती दर पर सिर्फ 57 लाख मे बेची गई होटल भूमि को 9 करोड़ में बिकवा कर बड़ी सौदेबाजी की हैं, अब  देखना यह हैं। कि राजस्थान सरकार पूर्व आयुक्त द्वारा बड़ी डील कर की गई जालसाजी के मामलें में क्या रूख अपनाती हैं। फिर  आयुक्त श्रवण कुमार विश्नोई का सीकर तबादला कर दिया गया।दिनांक 01/08/2017 को सीकर नगर परिषद् का कार्यभार ग्रहण किया। 

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