सुमेधानंद के खिलाफ हंगामा खड़ा करने में जातिवाद समीकरण 

अलग अलग जगह से 5-10 असंतुष्ट कार्यकर्ता नज़र आ रहे हैं जिनमे कॉलेज के वो लड़के भी हैं जो ABVP अध्यक्ष का पत्ता साफ़ कर चुके थे | सांसद का चुनाव राज्य का चुनाव नहीं होता, प्रधानमंत्री के चयन का चुनाव होता है मगर सांसद सीट पर दावेदारी को मजबूत करने के लिए वर्त्तमान उम्मीदवार को हार जाना जरुरी है  जिसके चलते अलगे चुनाव में उम्मीदवारी का समीकरण बदलने लगेगा 

जिले में 8 -0 की करारी हार झेल चुकी भाजपा, इल्जाम सांसद पर 

सीकर में भाजपा पूरी तरह साफ़ हो गई, 8 सीटों में से एक भी नहीं आना कोई हलकी बात नहीं है , दरअसल यहाँ किसी भी विधायक ने जनता के साथ ऐसा कोई कनेक्ट ही नहीं बनाया कि सबके ऊपर उनको अपना उम्मीदवार समझने लगते वोटर, केवल अपने कार्यकर्ताओं का काम करवाकर जहाँ बाकि जनता को तो नाराज़ किया ही वहीँ कार्यकर्ताओं में भी सौ फीसदी संतुष्ट नहीं हो सकते और एंटी इनकम्बेंसी भी होती ही है, पूरे पांच साल तक यही चला और नतीजा यह रहा कि भाजपा का कोई भी कार्ड चला ही नहीं 

सुमेधानंद हैं असली खिलाडी 

अपने आप को राजनेता मानने से ही इंकार करने वाले वाले सुमेधानंद असली खिलाडी राजनेता हैं जिन्होंने विरोधी पार्टी के वोटरों में भी अपने लिए सद्भावना विकसित की वहीँ उन्होंने ऐसा कोई  दृश्य भी उत्पन्न नहीं होने दिया कि वो किसी प्रभाव में कार्य कर रहे हैं, इसके चलते जब जब सर्वे हुए तब तब उनके बराबर कोई उम्मीदवार जिले में दिखा ही नहीं, दिल्ली के सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि विधानसभा हार का मुख्य कारण यहाँ के विधायकों की कार्यशैली थी जो भेदभाव वाला वातावरण बना रही थी 

मोदी ने सीट दे दी तो बदली जानी है ही नहीं 

चुनाव प्रधानमंत्री का है न कि राज्य का ऐसे में जो भी सीट फाइनल हुई है उसपर मोदी शाह की मुहर है, ऐसे में दस पांच कार्यकर्ताओं के जरिये जो माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं उनपर भी कड़ी नज़र रखी जा रही होगी और सही समय पर उनको लाइन हाज़िर किया जा सकता है , मोदी की कार्यशैली यही है जिसको लोकल ही नहीं इंटरनेशनल लेवल पर भी सब जानते हैं तो फिर सीट बदलने का अपरिपक्व हंगामा के मुख्य उद्देश्य ढूंढ कर लाने में किसी भी विश्लेषक को परेशानी नहीं होगी |

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