प्रधानमंत्री बनने से पहले ही मोदी पूरे देश में छा चुके थे और हर कोई उनके बारे में और ज्यादा जानना चाह रहा था, जो जानकारी भाजपाई दे रहे थे उससे ज्यादा उनको पॉपुलैरिटी कांग्रेस वाले दे रहे थे जो कहीं कहीं से उनको नीचा दिखाने के लिए मनमर्जी वाले आरोप लगा रहे थे मगर अब मोदी कोई अनजान व्यक्तित्व नहीं रहे और उनके बारे में जनता को ख़ास उत्सुकता नहीं रही
राहुल पर केंद्रित भाजपा के आईटी वीरों के सामने प्रियंका का अचानक आ जाना परेशानी बन गया
प्रियंका गाँधी वैसे तो राजनीती में नयी नहीं हैं मगर उनका इस प्रकार राजनीती में उतर जाना जब चुनाव घोषित होने वाले थे एक मास्टरस्ट्रोक ही साबित हुआ, राहुल गाँधी को भाजपा की आईटी सेल ने मजाक बना बना कर इतना प्रचारित कर दिया कि कांग्रेस कार्यकर्ता भी उनपर कई बार संदेह करते देखे गए मगर प्रियंका की पब्लिक इमेज हर दिन नयी तरह से बनती जा रही है
महिला होने की वजह से भी प्रियंका पर लिमिटेड जोक बनाये जा सकते हैं
देश महिलाओं को लेकर बहुत संवेदनशील रहता है, सोनिया गाँधी के विदेशी मूल के चलते कभी कभार देशवासी उनसे उतना कनेक्ट नहीं बना पाए जितना सौ फ़ीसदी देसी नागरिक से बना पाते इसके चलते बेहद फूहड़ पोस्ट और चुटकुले भी सोनिया गाँधी के बारे में बने जो अफसोसजनक रहे, मगर प्रियंका पर ज्यादा टिप्पणियां करना विरोधियों के अंदर भी फूट डालता है इसके भी कई अलग-अलग समीकरण हैं
जुबान ही नहीं व्यवहार भी सटीक है प्रियंका का
राहुल गाँधी जब अंग्रेजी में बात करते हैं तो अलग शख्सियत लगते हैं और हिंदी में बात करते सोनिया गाँधी जैसी हिंदी इस्तेमाल करते दीखते हैं, लाडला होने की वजह से माँ के बोलचाल वाले तौर तरीके राहुल में ज्यादा हैं जो प्रियंका में दादी पर गए हैं, प्रियंका को किसी संजीदा मामले पर कार्यकर्ता को अलग से डांट लगाने का तरीका इंदिरा गाँधी से मिला है जो उनको बड़े राजनेताओं से आगे ले जाता है
सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा पर प्रियंका ने सधा हुआ खेल खेल दिया
सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस ने मोदी को पूरी तरह घेरा साथ ही पुलवामा पर भी उदासीनता भरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया जिसके चलते उनकी जनता में स्तिथि हाशिये पर चली गयी, अगर विदेशी मीडिया के कुछ वीडियो और रिपोर्ट सामने नहीं आते तो मुद्दा पूरी तरह कांग्रेस के खिलाफ होने वाला था, राजनीती में ऐसे रिस्क नहीं लिए जाते और प्रियंका गाँधी ने इसपर कैसा भी रिस्क नहीं लिया और न ही कोई बयान दिया | प्रेस कांफ्रेंस में लिफाफा और नोटपैड की आदत पड़ चुकी पत्रकारों को भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं होने का पूरा गम रहा और उन्होंने अलग अलग जगह प्रियंका से कुछ न कुछ बयान दिलवाने की भरपूर कोशिश की मगर प्रियंका उनके कई कदम आगे ही रही और एक भी बयान नहीं दिया, उल्टा ये और कह दिया ऐसे में सरकार को जो करना चाहिए वो करे, ये राजनीती का मामला ही नहीं है तो ऐसे प्रश्न ही गलत हैं
राजस्थान और अन्य राज्यों में प्रियंका नहीं आ रही मगर उनके आने से फायदा हो रहा है
कार्यकर्ता खुश हैं, केवल राहुल अब उनके आइडल नहीं हैं उनको प्रियंका गाँधी को अनुसरण करने का मौका मिल रहा है , उनकी हर गतिविधि सटीक है जो कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा रही है| जैसे मोदी के नाम पर भाजपा कार्यकर्ता भिड़ जाते हैं वैसे अब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भी नाम मिल गया है जिसका पूरा पूरा मनोवैज्ञानिक फायदा चुनावों में देखने को मिलेगा
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