स्वीडन की एक न्यूज़ मैगज़ीन arena ने लिखा है -
F16 के जमीदोज होते ही अमेरिका को पता चल गया था, भारत पर इसके इस्तेमाल से अमरीका गुस्से में था पर उस समय ये भी जरुरी पाक की भारत के गुस्से से बचाना भी था। क्योकिं भारत का एक पायलट पाक कब्जे में जाते ही भारत बड़ी कार्यवाई के लिये ब्रम्होस मिसाइलें तैयार कर ली थी। प्लान यही था कि पाकिस्तान एयर फोर्स को रात में ही तहस नहस कर दिया जाये। जिसकी भनक अमेरिका को लग गयी। अमेरिका ने तुरन्त पाकिस्तान को चेता दिया कि कब्जे में रखे भारत के पायलट को कोई नुक्सान नहीं होना चाहिये, नहीं तो भारत को रोकना नामुमकिन होगा, और चेताया कि युद्घ की स्थिति में वो F16 के इंजन को लॉक कर देगा। भारत की सम्भावित कठोर कार्यवाई से घबराये खुद बाजवा ने UAE से बात की ,और उधर अमेरिका ने अरब और रूस से बात की। अरब ने भारत से एक रात रुकने की सलाह दी। अरब ने करीब दोपहर में ही pmo नयी दिल्ली से सम्पर्क साध लिया था और पाक को फटकार लगायी। रूस, अमेरिका ने पाक को समझा दिया की कल सुबह तक हर हाल में इंडियन पायलट को छोड़ने की घोषणा करे, वो भी बिना शर्त। यही नहीं, पाक ने चीन से भारत के आसमान पर निगरानी कर रहे उपग्रह से डायरेक्ट  लिंक मांगा, जिसे चीन ने मना कर दिया। अन्त में पाक ने टर्की से मदद मांगी। उसने फ़ौरन ही मना कर दिया और पायलट को छोडने को कहा। इधर भारत क्या कर सकता है, इसकी जानकारी के लिये पूरे विश्व के बड़े देशो के उपग्रह भारत पर नजर रख रहे थे। 24 फरवरी से लेकर 28 फरवरी तक रात में, पाकिस्तान के बड़े फौजी अधिकारी घर में बने बन्करों में रहते थे। पाक बिलकुल असहाय था

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