शहर में अब सामान्य स्थिति बहाल हो चुकी है अराजक लोगों को या तो पुलिस पकड़ कर ले गई है या वह डर के मारे अब शरीफ बने घूम रहे हैं इस घमासान के बीच सीकर ने सिर्फ एक बात को जाना और वह यह है कि पांच 10 लोग ही पूरे शहर का नक्शा बदल सकते हैं और यह कोई अच्छी बात नहीं है सीकर की कुल आबादी 1000000 से भी ज्यादा है और सिर्फ  कुछ लोगों ने मिलकर ना सिर सीकर का नाम खराब किया है बल्कि करोड़ों का व्यापार भी बंद करा दिया

सीकर टाइम से चाहता है कि इस से सबक लेकर आम नागरिकों को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आगे बढ़ना पड़ेगा और जो भी अराजक तत्व हैं जो किसी भी समुदाय से आते हैं उनके प्रति कठोर रवैया अपनाना पड़ेगा
इस लड़ाई झगड़े से ना सिर्फ व्यापारी वर्ग नाराज है बल्कि जनसाधारण भी सोच रहा है कि उसकी आखिर क्या गलती थी जो उसे भी परेशानी है झेलनी पड़ी

प्रशासन भी केवल इस तरीके की चीजों में ही आगे आता है जहां पर लड़ाई झगड़े शामिल हो बाकी समय चाहे किसान को समस्या हो चाहे व्यापारी को समस्या हो चाहे यात्रियों को बस में सफर करते हुए समस्या हो और चाहे महिलाओं को कितनी समस्याओं हो इन सब चीजों से ना प्रशासन को कोई लेना-देना है और ना ही यहां के लोगों को कोई लेना-देना है
या तो सीकर वासियों को बदलना पड़ेगा और या धीरे-धीरे सीकर का माहौल बदल जाएगा


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