चार साल पहले वसुंधरा राजे ने चुनावी घोषणा की थी कि अगर हम सरकार में आएंगे तो प्रत्येक उप खंड स्तर पर सरकारी काॅलेज खोलेंगे। इस घोषणा का उल्लेख भाजपा के चुनावी घोषणा - पत्र में है।
कल सीकर जनपद के उपखंड फतेहपुर स्थित बिंदल कुल देवी संस्थान में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जनसंवाद कार्यक्रम में भाग लेने पहुँची। मार्ग में छात्र संगठन एस एफ आई ने काले झंडे दिेखाकर विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने विरोध करने वाले छात्रों पर दमनात्मक कार्रवाई की। छात्रों पर लाठी चार्ज की गयी। कई विद्यार्थियों को घर में घुसकर पुलिस ने बर्बरतापूर्ण पिटाई की। छात्र नेता गोविंद शर्मा सहित अनेक विद्यार्थियों को हिरासत में लिया गया। अच्छा होता मुख्य मंत्री विद्यार्थियों से संवाद करती। बड़ी विडंबना यह है कि जन सुनवाई के लिए रखे गए कार्यक्रम में संवादहीनता नज़र आई। पिछले दिनों सीकर के विधायक ने विद्यार्थियों की समस्याओं को धैर्य पूर्वक सुनकर एक स्तुत्य प्रयास किया। हमारे नेता असंतुष्ट वर्ग से मिलने से क्यूँ घबराते है। यह संवादहीनता घातक है।

फतेहपुर के सर्व समाज ने जब एक स्वर में राजकीय महाविद्यालय की मांग की तो मुख्यमंत्री ने कहा-"हम कॉलेज चलाने में असमर्थ हैं। मैं कालेज खुलवाकर दे देेती हूँ ,आप चला लीजिए। "

यही नहीं उन्होंने यहाँ तक कहा -"मैं अपने विधायकों को महाविद्यालय नहीं दे पायी, आप को कैसे दूँ ? " मुख्यमंत्री से सवाल यह है कि चुनावी घोषणा -पत्र में आपने यह क्यों लिखा कि हम सत्ता में आएंगे तो हर उप खंड स्तर पर महाविद्यालय खुलवाएंगे। आप लिखा देती कि जहाँ -जहाँ भाजपा जीतेगी वहीं सरकारी महाविद्यालय खोले जाएंगे।
सवाल यह भी है कि भाजपा वाले उपखंड धोद व श्रीमाधोपुर में क्या आपने सरकारी कालेज खोल दिए ? मुख्यमंत्री एक सम्मानित पद होता है। उसकी गरिमा मत गिराइए।
विकास के साथ भेद भाव मत कीजिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार महाविद्यालय चलाने में हम असहाय है। मुख्यमंत्री अगर असहाय है तो पद का परित्याग करें। भाजपा को चाहिए कि वो नेतृत्व बदल दें वरना एक साल बाद जब वसुंधरा राजे सरकार से जनता हिसाब मांगेगी तब वो जनता को क्या जवाब देगी ?
राजनीतिक दल चुनावी घोषणा -पत्र के आधार पर सत्ता मेंआता है मगर कोई भी राजनीतिक दल पाँच साल में चुनावी घोषणा-पत्र में किए गए वालों को पूरा नहीं करता। निर्वाचन आयोग को चाहिए की चुनावी घोषणा-पत्र की अवहेलना करने वाले दल को दण्ड प्रदान करें। ऐसा करने वाले दल को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करने जैसे कदम उठावें ताकि मजबूत प्रजातंत्र बन सकें।

जानकार कहते हैं कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की तरह चुनावी वर्ष में भाजपा के द्वारा पिटारा खोला जाएगा किन्तु जनता इन फंडों को सब समझती है। वह वक़्त पर माकूल जवाब देती हैं



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