सीकर टाइम्स शिक्षा के प्रति हमेशा से संवेदनशील रहा है इसलिए शिक्षा से जुड़े मुद्दे पूरे दमखम के साथ उठाता है | हम भी इस इंतजार में थे कि जो प्रश्न हनुमान बेनीवाल ने सदन में निजी शिक्षण संस्थाओं की मनमानी फीस के मद्देनज़र उठाये जिनके उत्तर क्या आते हैं तो लीजिये प्रश्न और उनके उत्तर
1. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्‍कूलों को फीस की राशि देने के लिए सरकार द्वारा क्‍या मानदंड तय किये गये हैं? विवरण सदन की मेज पर रखें।
(1) नि:शुल्‍क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 एवं नियम, 2011 के नियम 11 के अनुसार आरटीई के तहत निजी स्‍कूलों को फीस की राशि देने के लिए मानदण्‍ड तय कर रखे हैं जिसका विवरण परिशिष्‍ट ''''क'''' पर संलग्‍न है। नि:शुल्‍क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 12(2) के अनुसार ''''निजी विद्यालयों को कमजोर या पिछडे वर्ग के न्‍यूनतम 25 प्रतिशत बच्‍चों को प्रवेश देने के बदले सरकार द्वारा तय की गई राशि उपलब्‍ध कराई जाती है। परन्‍तु यह राशि सरकारी स्‍कूल में प्रति बालक व्‍यय की जा रही राशि से अधिक नहीं होगी। सरकार द्वारा प्रत्‍येक  सत्र हेतु प्रति छात्र यूनिट कॉस्‍ट का निर्धारण किया जाता है। सत्र 2017-18 के लिए यूनिट कॉस्‍ट 13,754/- रूपये निर्धारित है।

2. प्रदेश में निजी स्‍कूलों की फीस निर्धारण करने के लिए सरकार द्वारा क्‍या मानदंड व नियम बनाये गये हैं?
(2) निजी विद्यालयों द्वारा ली जा रहीं फीस के विनियमन हेतु राजस्‍थान विद्यालय फीस का (विनियमन) अधिनियम, 2016 दिनांक 01.07.2016 से प्रभावी है तथा अधिनियम के प्रावधानों के अन्‍तर्गत  राजस्‍थान विद्यालय फीस का (विनियमन) नियम, 2017 दिनांक 14.02.2017 से लागू किये गये। अधिनियम एवं नियम की प्रति परिशिष्‍ट''''ख'''' एवं ''''ग'''' पर संलग्‍न है।

3. क्‍या सरकार निजी स्‍कूलों द्वारा की जा रही अनियमितता पर अंकुश लगाने के लिए शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निजी स्‍कूलों में शिक्षा प्राप्‍त कर रहे छात्रों के खाते में फीस हस्‍तांतरित करने का विचार रखती है? यदि हां, तो कब तक व नहीं, तो क्‍यों? विवरण सदन की मेज पर रखें।
(3) जी नहीं। वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्‍ताव विचाराधीन नहीं है।

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