वैसे इसमें कोई शक नहीं है किसी को मगर बोलने का साहस एक निहत्थे पत्रकार ने उठाया कि गुंडागर्दी की जड़ लाल सलाम है और चाहे मरना पड़े मगर डरना मंजूर नहीं है| अगर एक बार इन जैसों से डरना शुरू कर दो तो घर से बाहर निकलते हुए भी डरते हुए रहना पड़ेगा, ऐसी जिंदगी से मौत भली

छात्र संघ पर ये लोग कब्ज़ा कैसे कर पाते हैं 

सीधी बात है, जो लोग छात्र ही नहीं हैं बल्कि अपराधी हैं उन लोगों से कोई छात्र कैसे पार पा सकता है, हर विरोध के दौरान ऐसे लोग मारपीट करने आते हैं जो छात्र ही नहीं है मगर शेखावाटी के भोले और शांति पसंद लोग इनके मुह लगने से बचते हैं, उसके बाद आ जाती है "बलने दे रे " वाली मानसिकता कि कौन लडे  गुंडों से और यही बात को कमजोरी मानकर इसको हथियार बना लेते हैं  गुंडे | 

फोन कर धमकी दी और पार्टी कार्यालय में हमला 

डॉ यशवंत का नंबर इन लोगों में सिर्फ अमराराम के पास था, सुभाष जाखड के पास नहीं था और ऐसा कोई सोर्स नहीं था जहाँ से कोई डॉ यशवंत का नंबर कोई ऐसे अपराधी को दे तो ये बात पूरी तरह साफ़ है कि धमकाने वाला फोन करने के लिए नंबर अमराराम ने खुद ही दिया था और अगर कोई हिस्ट्री शीटर को किसी का नंबर दोगे तो वो गाली गलोच, धमकी ही देगा इसमें कोई संदेह नहीं, | बिलकुल साफ़ है अमराराम ने डॉ यशवंत को धमकाने के लिए सुभाष जाखड को नियुक्त किया जिसने वही किया जो उसे आटा है | गाली गलोच करना, गुट बनाकर निर्दोष लोगों पर हमला करना और भय, खौफ्फ़ का माहौल बनाकर अपनी बात मनवा लेने की कोशिश  

 पार्टी ने किनारा नहीं किया 

पूरी रात धमकी भरे फोन पर फ़ोन आते रहे और जिस समय ये धमकियाँ दे रहे थे संयोगवश सीकर के दोनों प्रमुख अखबारों के संवाददाता भी वहीँ थे और हमारा हालचाल पूछने आये थे तो हमने स्पीकर पर ही उन्हें वास्तविकता का फर्स्ट हैण्ड किस्सा सुना दिया | सीकर टाइम्स ने सिर्फ राजनितिक पार्टियों के खिलाफ ही नहीं बल्कि प्रमुख अख़बारों के खिलाफ भी खबरें छापी हैं मगर फिर भी संवाददाता हमसे मिलने आये क्यूंकि वो सामाजिक लोग हैं जो विरोध भी सुनते हैं और ये उनके सभ्य होने का सबूत है जिसकी हमें अपेक्षा थी| आज सीकर हो या पूरा राजस्थान दोनों प्रमुख अखबार लोगों की दिनचर्या का ख़ास हिस्सा है और आगे भी रहेगी| 
दोनों प्रमुख पार्टियों के भी कार्यकर्ता आये जिनके बारे में भी हम जब-तब जरुरत लगती है तो अपने स्तर से विरोध वाली खबर बेबाकी से चला देते हैं फिर भी इनके आने पर हमें बहुत आश्चर्य नहीं हुआ क्यूंकि देश इन दोनों पार्टियों के बिना नहीं चल सकता, विपक्ष के बिना पक्ष भी कमजोर हो जाता है उसी तरह जैसे कसरत करे बिना शरीर कमजोर हो जाता है ये इन पार्टियों की विचारधारा है जो सम्मानजनक है | 

कब हुआ आश्चर्य 

आश्चर्य हमें तब हुआ जब इतनी बड़ी बात हो गई, पार्टी प्रमुख का बेटा बयान दे गया कि आप पिटोगे हम पीटेंगे, और भी नेता हैं जो आन्दोलन के दौरान तो सीकर टाइम्स भर भरके देखते थे और तारीफ करते थे मगर एक मेसेज नहीं आया फेसबुक पर या उन नुम्बरों पर इनके पास रहता है और इन सबको पता है कि इन्होने ही हमारे साथ मारपीट की है | साफ़ है, ये हमारे ऊपर अपना एकाधिकार समझ बैठे थे और डरपोक कायर समझ बैठे थे जैसी इनकी मानसिकता है और जैसा इनको अपने मारपीट करने वाले कार्यकर्ताओं पर विश्वास है | सबूत सामने है, सुबह से अब तक हर कोई दल हमें कैसे न कैसे कांटेक्ट करके स्वास्थ्य लाभ की कामना कर चूका है और ये मानता है कि सीकर में गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं होगी मगर इनमें से एक नहीं बोला और ये इनका सच आपने भी देखा इसके विपरीत हर एस ऍफ़ आई वाली ग्रुप में सीकर टाइम्स के खिलाफ गाली गलोच करने और हर पोस्ट पर धमकी देने के ऑर्डर्स दे दिए गए जिनके स्क्रीनशॉट इनसे ही परेशान विवेकशील पाठकों ने हमें भेजे जिनमें इनके बड़े नेता ही इनको ऐसा करने के लिए कहते दिखे | 

क्या पहले किसी के साथ मारपीट नहीं की है इन्होने 

इस बात का जवाब हर कोई जनता है कि ये कुछ लोग ही सीकर के माहौल को ख़राब करने वाले होते हैं, मगर इनसे हर सीकर वासी डरता है इसका मतलब ये नहीं कि वो हमेशा ही डरता रहेगा | पहली बार किसी ने आवाज़ उठाई तो हर जगह से पूरा प्रोत्साहन मिला है और हज़ार हाथ खड़े हो गए हैं ये बताने कि अब सीकर जिला होगा गुंडई मुक्त जिला| 

सात थप्पड़ करवाएंगे सात करोड़ की गुंडा फंडिंग पर चोट 

इनकी फंडिंग पर प्रारंभिक तौर पर भी खोज हमने की है और अब एक बड़ा नाम भी हमारे साथ जुड़ गया है जो हजारों करोड़ की विदेशी और बेनामी फंडिंग को पहले ही देशहित में सामने ला चूका है, जब गुंडा फंडिंग करने वालों की संपत्तियां जब्त होने लगेगी तो इनको अपराधिक फंडिंग करने की हिम्मत भी धीरे धीरे ख़त्म होने लगेगी क्यूंकि ऐसे फण्ड करने वाले लोग सबसे बड़े डरपोक होते हैं और ऐसे साथी को ढूंढते हैं जो फण्ड के पैसे पर डर फैलाए, ये हमारी देखी परखी बात है | नाजायज़ रूप से दी गई रकम में पाले हुए गुंडे इनका क्या नुक्सान करवाएंगे ये इन्हें नहीं पता होगा मगर देश को आगे फायदा ही फायदा होगा 

डॉ यशवंत को दिखाया पुलिस का डर, सोचा ये फार्मूला सब पर चलता है तो इसपर क्यूँ नहीं चलेगा 

धक्का मारने के साथ गैंग के लोग चिल्ला रहे थे हमारा भाई एस आई है (शायद उनके लीडर के लड़के की बात कर रहे थे) तू यहाँ चोरी करने आया है तेरे ऊपर चोरी का केस लगायेंगे तो डॉ यशवंत ने कहा कि देर किस बात की है चलो थाने, साथ चलते हैं पूरा माल जब्त करवाओ मेरे से मगर सब लाइव चल रहा है ये भी ध्यान रखना, ऐसा सुनकर उन्होंने डॉ यशवंत को धक्का दिया, मोबाइल सुभाष जाखड ने ले लिया तो डॉ यशवंत ने कहा ले लो मगर  बिना फिंगरप्रिंट नहीं खुलेगा तो उन्होंने मोबाइल साइड में फेंक दिया और थप्पड़ मारने लगे साथ में चिल्ला रहे थे तू पोल करवाएगा अमराराम का, हमारी दारू वाली विडियो डालेगा जवाब में डॉ यशवंत ने कहा एकदम सही ऐसा ही होगा मेरा काम है वो में जरुर करूँगा, तुम्हरे हिसाब से न चला हूँ न चलूँगा 

सबसे पहला शक हमें कब हुआ 

निजी संघ के समर्थन में जब से SFI के नाम पर निजी कॉलेज का समर्थन करने आये थे, तब से ये शक चल रहा था हमारे मन में कि ये छात्र हित की बात करते हैं मगर उन कोल्लेजों का समर्थन क्यूँ कर रहे हैं जो शिक्षक को तन्खुआह पूरी नहीं देता, छात्रों से बिना काम की फीस लेता रहता है और ऊपर से फीस के बदले कोई सुविधा नहीं मिलती, दो शब्दों में कहें तो शिक्षा माफिया के समर्थन में छात्र कैसे आ सकता है, उसको क्या फायदा जब उसपर ही जुल्म होता है, तब कुछ विडियो और फोटो हमने लिए तो एक प्रोफेसर को दिखाया जिसने बताया कि निजी संघ के समर्थन में छात्र थे  ही नहीं बल्कि अपराधी हैं ये सारे तो ऐसा लगा शायद ये गुंडा अपनी गैंग को लेकर अपने आप आया होगा क्यूंकि हमारा छात्र संघ पर अभी विश्वास पूरी तरह नहीं डिगा था 

गृह जिले में अमरा इतना नापसंद क्यूँ?

गुंडागर्दी को सामने से लोग बचने के लिए समर्थन कर भी देते हैं मगर मौका पड़ते ही चौका लगा देते हैं, इसलिए जब हनुमान बेनीवाल और अमराराम का पोल हमने करवाया जिसकी वजह से असलियत सामने आने लगी तो पता पड़ा इनसे हर कोई परेशान है और ये भी इस बात से परेशान हैं कि इनकी खिसकती हुई जमीन सब देख रहे हैं और इसका जिम्मेदार हमें बना बैठे | बेनीवाल का यहाँ से उतना कनेक्ट नहीं है मगर लोग उसे ज्यादा इसलिए जिता रहे थे क्यूंकि वो अमरा के पक्ष में वोट दे नहीं पा रहे थे | रिजल्ट आपके सामने है कि हर कम्युनिस्ट ग्रुप में इन्होने पोल को शेयर किया फिर भी साठ से ज्यादा प्रतिशत लोगो ने बेनीवाल को आगे रखा  

ये पहला हिस्सा है, बाकी के हिस्से आयेंगे, इनकी पूरी कहानी बताई जाएगी, ये हिस्सा अभी प्रकाशित इसलिए किया है ताकि हम बता सकें कि इनकी पिटाई से आवाज़ दबी नहीं उल्टा बढ़ गई है, सीकर के नब्बे प्रतिशत से ज्यादा समर्थन हमें दे गई है क्यूंकि ये अपने ग्रुपओं में खूब मेसेज डाल रहे हैं कि आज के बाद सीकर टाइम्स बाकि डरे हुए लोगों की तरह हमारे खिलाफ नहीं बोलेगा | मगर हम ये वादा कर रहे हैं कि एक भी अपराधिक घटना नहीं छुपेगी, पूरी जांबाजी के साथ उठेगी | हमारे भाई देश के लिए गोली खाने से नहीं डरे तो हम क्या इनसे डरकर चुपेंगे, ये देश किसी के बाप का नहीं है जो संविधान से अपने आप को ऊपर समझे | चालीस से कुछ ही ज्यादा लोग सीकर के कई लाख लोगों पर अपना खौफ्फ़ नहीं दिखा सकते 





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