सीकर : भाजपा ने कड़े मंथन के बाद सीकर के वर्त्तमान विधायक रतन जलधारी को दोबारा मौका दिया है जो कांग्रेस के लिए कठिन सीट साबित होने वाली है

जलधारी की लहर नहीं तो विरोध भी नहीं 

रतन जलधारी अपने करिश्माई व्यक्तित्व के तहत कोई लहर कायम कर पाने में चाहे कामयाब नहीं हो पाए हों मगर ज्यादा खबरों में नहीं रहने और अपने समर्थकों के जरिये काम बनवाने में कामयाब रहने वाले नेता है | सटटा बाजार जलधारी को फेवरेट बता रहा है

मोदी की रैली के टारगेट पूरे किये 

झुंझुनू में मोदी की सभा के दौरान अपने टारगेट पूरे करने के चलते जलधारी और बाजौर की सीट वैसे ही पक्की थी क्यूंकि ऐसा नहीं हो पाने की स्तिथि में टारगेट पूरा करने के महत्व खत्म हो जाता व आने वाली सभाओं में डिसिप्लिन की एहमियत ही नहीं रह पाती

सीकर सीट ब्राह्मण सीट क्यों मानी जाती है 

लोकतंत्र के चार स्तम्भ होते हैं, सीकर में बाकि जिले के मुकाबले बड़े प्रशासनिक अधिकारी, थानों के बड़े पुलिस अधिकारी व साथ ही प्रिंट मीडिया में खबर का डिसिशन लेने वाले व विधायक, सभी आश्चर्यजनक रूप से बहुतायत में एक ही जाति के हैं इसके चलते जनसाधारण में इसको ब्राह्मण सीट माना जाता रहा है|

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